परासरण क्या है परासरण की परिभाषा, प्रकार, उदाहरण तथा उपयोग

परासरण क्या है
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हेल्लो दोस्तों आपका स्वागत है हमारी हिंदी केमिस्ट्री की इस वेवसाइट पर। आज हम आपको विस्तार के साथ बताएँगे परासरण क्या होता है? परासरण किसे कहते हैं? प्रसारण की परिभाषा क्या होती है?तथा परासरण कितने प्रकार का होता है और प्रसारण के उदाहरण क्या हैं? इस सबके बारे में हम आज के इस आर्टिकल में आपको बताएँगे। पिछले आर्टिकल में हमने आपको मोल किसे कहते हैं? मोल की परिभाषा क्या होती है? मोल के उदाहरण के बारे में बताया और इसके साथ साथ हमने मोले के सूत्र व अवधारणा के बारे में बताया मोल की सभी महत्वपूर्ण जानकारी हमने आप को दी।

आज का यह टॉपिक परासरण क्या है? बहुत ही महत्पूर्ण टॉपिक है जो परीक्षाओं में कई बार पूंछा जा चुका है इस महत्वपूर्ण टॉपिक की जानकारी आपको इस आर्टिकल में हम देने वाले हैं। यह टॉपिक परीक्षाओं में भी कई बार पूंछा जा चुका है। इस टॉपिक में हम आपको परासरण की परिभाषा, परासरण के प्रकार और परासरण के उदाहरण के बारे में बताएँगे और साथ ही साथ प्रसारण के उपयोग के बारे में बताएगे। इस सबकी जानकारी को विस्तार के साथ जानने  के लिए हमारी हिंदी केमिस्ट्री की इस वेवसाइट के लेख को ध्यानपूर्वक पढ़े।

मोल क्या है?

परासरण की परिभाषा (परासरण क्या है?)

विलायक (जल) के अणुओं का अर्द्ध पारगम्य झिल्ली (Semipermeable membrane) से होकर कम सांद्रता वाले विलयन से अधिक सांद्रता वाले विलियन की ओर चलना परासरण कहलाता है। यह एक भोतिक क्रिया है जिसमे घोल के अणु विना किसी बहार की उर्जा के प्रयोग से अर्द्ध पारगम्य झिल्ली से होकर गति करते हैं।अथवा जब दो भिन्न -भिन्न सान्द्रताओं वाले विलयनो को किसी पारगम्य झिल्ली द्वारा अलग किया जाता है तो विलायक (जल) के अणु तनु विलयन से सान्द्र विलयन की ओर गति करने लगते हैं। विलयक के अणुओं की इस प्रकार की गति को परासरण कहते हैं।

उदाहरण – किशमिश को जल में डालने पर उसका फूलना, अंगूर को नमक या चीनी के गाड़े घोल में डालने पर उसका पिचकना आदि।

परासरण की परिभाषा

अर्द्ध पारगम्य झिल्ली (Semipermeable membrane)

ऐसी झिल्ली जिसके आर पार केवल विलायक के अणु ही जा पाते हैं अर्द्ध पारगम्य झिल्ली (Semipermeable membrane) कहलाती है। जैसे- अंडे की झिल्ली, किशमिश की झिल्ली व अंगूर की झिल्ली, कैल्शियम फोस्फेट की झिल्ली, कॉपर फेरोसायनाइड की झिल्ली। सबसे अच्छी झिल्ली कॉपर फेरोसायनाइड की झिल्ली होती है।

परासरण के प्रकार (परासरण क्या है?)

परासरण मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। जो निम्नलिखित हैं।

  1. अन्तः परासरण
  2. वाह्य परासरण

1. अन्तः परासरण

जब किशमिश को जल में डुबोया जाता है, तो जल के अणु बहार से किशमिश के अन्दर जाने लगते हैं। इस घटना को अन्तः परासरण कहते हैं। इसमें अणु तनु विलयन से सान्द्र विलयन की ओर गति करते हैं। इसमें अर्द्ध पारगम्य झिल्ली आवश्यक होती है। अन्तः परासरण में केवल विलायक के अणु ही गति करते हैं। अन्तः परासरण केवल द्रव में होता है। इसमें परासरण को रोका जा सकता है।

2. वाह्य परासरण

जब किसी अंगूर को चीनी के संतृप्त विलयन में डुबोया जाता है, तो जल के अणु अंगूर से बहार निकलने लगते हैं। जिसके कारण अंगूर पिचक जाता है। यह घटना वाह्य परासरण कहलाती है। इसमें अणु सान्द्र विलयन से तनु विलयन की ओर गति करते हैं। इसमें अर्द्ध पारगम्य झिल्ली आवश्यक नहीं होती है। इसमें विलय व विलायक के अणु गति करते हैं। इसमें विसरण विलय व विलायक दोनों ,में होता है। इसमें विसरण को रोका नहीं जा सकता है।

परासरण के उपयोग (परासरण क्या है)

  1. परासरण की मदद से पौधे जड़ों से पानी और खनिज लेते हैं।
  2. फलों में चीनी और मास में नमक के परिक्षण के रूप में उपयोग किया जाता तो बैक्टेरिया पानी खो देते हैं। उनका चयापचय कम हो जाता है तो बैक्टेरिया मर जाएँगे।

परासरण दाब (परासरण क्या है)

दोस्तों ऊपर के आर्टिकल में हमने आपको परासरण क्या है? परासरण की परिभाषा क्या होती है? तथा प्रसारण के प्रकार में अन्तः परासरण और वाह्य परासरण के बारे में बताया है। अब हम आपको परासरण दाब के बारे में बताएँगे। परासरण दाब बहुत महत्वपूर्ण टॉपिक है इसलिए इसे ध्यान से पढ़िए। जब किसी विलयन या सुद्ध विलायक को अर्द्ध पारगम्य झिल्ली द्वारा अलग किया जाता है तो परासरण की क्रिया सुद्ध विलायक से विलयन की ओर होने लगती है। इस परासरण की क्रिया को रोकने के लिए विलयन पर जो अतिरिक्त दाब लगाया जाता है उसे दिए गए विलयन का परासरण दाब कहते हैं।

परासरण दाब = विलायक का वाष्प दाब – विलयन का वाष्प दाब 

विलायक के वाष्प दाब और विलयन के वाष्प दाब के अंतर को विलयन का परासरण दाब कहते हैं।

परासरण दाब

अतिपरासरी तथा अल्पपरासरी विलयन

दो विलयनो में से जिस विलयन का परासरण दाब अधिक होता है उसे अतिपरासरी विलयन तथा जिस विलयन का परासरण दाब कम होता है उसे अल्पपरासरी विलयन कहते हैं। सान्द्र विलयन का परासरण दाब अधिक होता है और तनु विलयन का परासरण दाब कम होता है।

व्युक्रम परासरण

शुद्ध जल व अशुद्ध जल को अर्द्ध पारगम्य झिल्ली द्वारा प्रथक करने पर परासरण की क्रिया शुद्ध जल से अशुद्ध जल की ओर होने लगती है। परन्तु असुद्ध जल पर वाह्य दाब लगाने पर परासरण की क्रिया विपरीत दिशा में होने लगती है। जिससे अशुद्ध जल सुद्ध जल में बदलने लगता है। इस क्रिया को व्युत्क्रम परासरण कहते हैं।

परासरण दाब के नियम

वॉन्ट हाफ नमक वैज्ञानिक ने एक सिद्धांत दिया जिसे तनु विलयन का सिद्धांत कहा गया। उन्होंने बताया कि किसी तनु विलयन में गैस के अणुओं की तरह व्यवहार करते हैं। इसी को देखते हुए उन्होंने तीन नियम दिए।

  1. बॉयल वांट नियम – स्थिर ताप पर किसी विलयन का परासरण दाब उसकी सांद्रता के समानुपाती होता है।
  2. चार्ल्स वांट हॉफ नियम – स्थिर सांद्रता पर किसी विलयन का परासरण दाब उसके परम ताप के समानुपाती होता है।
  3. सामान्य विलयन समीकरण – उपरोक्त नियमों को संयुक्त करने पर PV = nRT

उत्प्रेरक किसे कहते हैं?

निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने आपको परासरण क्या है? परासरण की परिभाषा, परासरण के उदाहरण के बारे में बताया है। इसके साथ साथ हमने आपको अर्द्ध पारगम्य झिल्ली किसे कहते है? अतिपरासरी तथा अल्पपरासरी बिलयन किसे कहते हैं? परासरण दाब और परासरण दाब के नियमो को बहुत ही आसान शब्दों में बताया है। साथ ही दैनिक जीवन में परासरण के उपयोग के बारे में भी बताया है। इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारी हम अपनी वेवसाइट पर देते रहते हैं। इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए जुड़े रहिए हमारी हिंदी केमिस्ट्री की वेवसाइट के साथ तब तक के लिए धन्यवाद।

 

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