पॉलिथीन क्या है इसके उपयोग, दुष्प्रभाव, प्रकार, गुण तथा निर्माण

पॉलिथीन क्या है
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दोस्तों आज के हमारे इस आर्टिकल पॉलिथीन क्या है? में आपका स्वागत है। आज हम आपको पॉलिथीन क्या होती है? इसके उपयोग क्या होते हैं? और पॉलिथीन से होने वाले दुस्प्रभाव के बारे में जानेगे और साथ ही साथ हम पॉलिथीन के निर्माण के बारे में विस्तार के साथ जानेगे। तथा हम इसके गुण तथा प्रकार के बारे में भी जानेगे। पिछले आर्टिकल में हमने आपको विस्तार के साथ बताया है कि ऑक्सीकरण किसे कहते हैं? ऑक्सीकरण के परिभाषा क्या है? ऑक्सीकरण की रासायनिक समीकरण क्या होती हैं? तथा ऑक्सीकरण संख्याएँ किस प्रकार से निकालते हैं? इस आर्टिकल में हम पोलिथीन की चर्चा करेंगे।

पॉलिथीन के अनेक उपयोग होते हैं। पॉलिथीन के अनेक दुष्प्रभाव होते हैं। जिनके बारे में नीचे बताया जाएगा। पॉलिथीन से सम्बंधित प्रश्न परीक्षाओं में दीर्घ, लघु, या अतिलघु उत्तरीय प्रश्न में पूँछ लिया जाता है। पॉलिथीन के निर्माण की विधि, उपयोग, दुष्प्रभाव तथा उदाहरण तो जरूर ही आते हैं। इन सभी को इस लिख के अंतर्गत समझाया गया है। कभी कभी परीक्षाओं में निबंध भी लिखने को आ जाता है। इसलिए पॉलिथीन के इस महत्वपूर्ण लेख को ध्यान से जरूर पड़ें।

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पॉलिथीन की परिभाषा

पॉलिथीन या प्लास्टिक अत्याधिक अणुभार वाले ऐसे कार्बनिक यौगिक जिनको हम एलिफेटिक यौगिक कहते हैं। ऐसे योगिको की एक लम्बी श्रंखला से बना होता  है। इसके बहुत सरे अणु बन जाते हैं जिसे मोनोमर कहते हैं। जब ऐसे बहुत सारे मोनोमर मिल जाते हैं, तो एक श्रंखला बन जाती है, जिसे हम पॉलीमर कहते हैं। पॉलिथीन एक प्रकार का बहुलक है, जोकि एक सामान्य बहुलक है। इसका उपयोग इसका उपयोग घरेलु उपकरणों में किया जाता है। पॉलिथीन को पॉलिएथिलीन के नाम से भी जाना जाता है। यह सबसे ज्यादा उपयोग करने वाली प्लास्टिक है।

वर्तमान समय में इसका बार्षिक उत्पादन 8 करोड़ तन है इसका मुक्य उपयोग पैकेजिंग (प्लास्टिक के थैले, बोतल व अन्य पात्र) बनाने में किया जाता है। पॉलिएथिलीन में आमतौर पर एक रैखिक संरचना होती है, जिसे अतिरिक्त पोलिमर के रूप में जाना जाता है। इन सिंथेटिक पॉलीमर का प्राथमिक रूप से उपयोग पैकेजिंग में किया जाता है। पॉलिएथिलीन, उत्प्रेरक की उपस्थिति में कई एथिलीन अणुओं की प्रक्रिया से बनता है। पॉलीमर उद्योग कई उत्प्रेरकों को रोजगार देता है। और हर साल नए उत्प्रेरक विकसित किए जाते हैं। एक ही प्रकार के रिएक्टर में भी अलग अलग गुणों वाले पॉलीमर बनाने के लिए विभिन्न उत्प्रेरकों का उपयोग किया जाता है।

पॉलिथीन का निर्माण

उच्च ताप एवं दाब पर उत्प्रेरक की उपस्थिति में एथिलीन का वहुलिकरण कराने पर पॉलिथीन प्राप्त होती है। एथिलीन का पॉलिथीन में बहुलीकरण निम्नलिखित अभिक्रिया द्वारा होता है।

एथिलीन    n[CH2 = CH2] ————->[-CH2 – CH2-]n   पॉलिथीन

पॉलिथीन बनाने की विधि

पॉलिथीन के प्रकार

पॉलिथीन दो प्रकार की होती है इन दोनों प्रकार की पॉलिथीन के लक्षण एक दूसरे से अलग अलग होते हैं। जो निम्नलिखित हैं।

  1. अल्प  घनत्व पॉलिथीन
  2. उच्च घनत्व पॉलिथीन

1. अल्प घनत्व पॉलिथीन

इसे अल्प, निम्न या फिर कम घनत्व वाली पॉलिथीन के नाम से जाना जाता है। अल्प घनत्व पॉलिथीन को 1000 – 2000 तक के वायुमंडल दाब पर तथा 350 – 570K ताप पर ऑक्सीजन या परोक्साइड की उपस्थिति में एथीन के बहुलीकरण द्वारा प्राप्त किया जाता है।अल्प घनत्व पॉलिथीन की संरचना अत्यधिक शाखित होती है। इन्ही शाखाओं के कारण पॉलीमर अणुओं को अत्याधिक पास नहीं बंधते हैं। इसलिए इनका घनत्व बहुत कम होता है। इनका दाब अत्याधिक उच्च होता है। जिस कारण उन्हें उच्च दाब पॉलिथीन भी कहते हैं। अल्प घनत्व पॉलिथीन रासायनिक रूप से अक्रिये, कठोर तथा विधुत की कुचालक होती है। यह निम्न ताप पर कोमल तथा लचीली होती है।

अल्प-घनत्व-पॉलिथीन-अभिक्रिया

अल्प घनत्व पॉलिथीन के उपयोग:

  1. इलेक्ट्रिक तारो के ऊपर चढ़ाकर उनका वैधुत अवरोधन करने में किया जाता है।
  2. लचीले गुण के कारण इसका उपयोग पाइप, और खिलोने के निर्माण में किया जाता है।
  3. पॉलिथीन का उपयोग पैकिंग करने में  किया जाता है।
  4. पॉलिथीन का उपयोग हैंडबैग बनाने में  किया जाता है।
  5. इसका उपयोग बोतल बनाने में भी किया जाता है।

2. उच्च घनत्व पॉलिथीन

उच्च घनत्व वाली पॉलिथीन को 6 से 7 वायुमंडल दाब पर और 33K ताप पर ट्राईएथिल एल्युमीनियम व टाईटेनियम टेट्राक्लोराइड जैसे उत्प्रेरक की उपस्थिति में एथीन के बहुलीकरण द्वारा प्राप्त किया जाता है।इस प्रकार प्राप्त की गयी उच्च घनत्व वाली पॉलिथीन में जो अणु होते है वह रेखी अवस्था में होते हैं। इनका घनत्व भी उच्च होता है। और इसके साथ साथ इसका गलनांक भी उच्च लगभग 130C होता है। इसका दाब भी कम होता है, जिस कारण इसे निम्न दाब पॉलिथीन भी कहते हैं। यह रासायनिक रूप से अत्याधिक कठोर और मजबूत होती है। इसके अन्दर तन्यता का गुण भी पाया जाता है।

उच्च-घनत्व-पॉलिथीन-अभिक्रिया

उच्च घनत्व पॉलिथीन के उपयोग:

  1. कठोर पाइप तथा खिलोनों के निर्माण में इसका उपयोग किया जाता है।
  2. रसायनशास्त्र में प्रयोग होने वाले पात्रों के निर्माण में भी उच्च घनत्व पॉलिथीन का उपयोग किया जाता है।
  3. इसका उपयोग बाल्टी बनाने में भी किया जाता है।

पॉलिथीन के गुण

ऊपर लिखे लेख में हम आपको बता चुके हैं कि पॉलिथीन क्या होती है? पॉलिथीन की परिभाषा क्या है? तथा इसके बाद हमने पॉलिथीन के प्रकार के बारे में बताया है। और इसके साथ ही साथ हमने आपको पॉलिथीन के उपयोग के बारे में बताया है। अब हम आपको पॉलिथीन के गुणों के बारे में बताएँगे।पॉलिथीन के गुणों के बारे में जानने के लिए हमारे इस को अंत तक जरूर पढ़े।

पॉलिथीन के गुण निम्नलिखित हैं।

  • पॉलिथीन में शाखित श्रंखलाएं होती हैं ।
  • ये लचीले होते हैं और पारभाषी होते हैं ।

पॉलिथीन के हानिकारक दुष्प्रभाव

पॉलिथीन या प्लास्टिक प्रदूषण हमारे पर्यावरण को काफी तेजी से नुकसान पहुँचा रहा है। प्लास्टिक एक ऐसी सामग्री है जो विघटित नहीं होती है। प्लास्टिक की थैलियाँ  नदियों, झीलों और सागरों को भीषण रूप से प्रदूषित करती हैं। प्लास्टिक या पॉलिथीन मिट्टी के साथ मिश्रित नहीं होती है।और हजारों बर्षो तक जमीन में दबी रहती है।

पॉलिथीन के हानिकारक प्रभाव

  1. प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण में भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरे के इकठ्ठा हो जाने से होता है।
  2. यह वातावरण में सैकड़ों सालों तक इकठ्ठा रहता है।
  3. इसके साथ ही मनुष्य, जीव जंतु और पेड़ पौधों के लिए भी हानिकारक होता है।
  4. प्लास्टिक प्रदूषण के कारण कई जीव जंतुओं की मृत्यु हो जाती है।
  5. प्लास्टिक प्रदूषण हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली प्लास्टिक की थैलियों के कारण बढ़ता ही जा रहा है।

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निष्कर्ष

दोस्तों हमने आपको पॉलिथीन क्या है? पॉलिथीन की परिभाषा क्या होती है? पॉलिथीन बनाने की विधि और पॉलिथीन के प्रकार के बारे में विस्तार के साथ बताया है। इसके साथ ही साथ हमने पॉलिथीन के गुण, पॉलिथीन के उपयोग तथा पॉलिथीन के हानिकारक प्रभाव के बारे में बताया है। जिनके बारे में  पढ़कर आपको पॉलिथीन की बहुत सारी जानकारी प्राप्त हो गयी होगी। मुझे उम्मीद है कि आपको पॉलिथीन पर आधारित हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा। इसी प्रकार की और भी अधिक जानकारी पाने के लिए जुड़े रहिए हमारी इस हिंदी केमिस्ट्री की इस वेवसाइट के साथ तब तक के लिए धन्यवाद।

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