नायलॉन क्या है? इसकी परिभाषा, उपयोग, सूत्र तथा गुण

नायलॉन क्या है
5/5 - (1 vote)

दोस्तों स्वागत है आपका हमारी हिंदी केमिस्ट्री की इस वेबसाइट पर। आज के इस आर्टिकल में हम आपको नायलॉन क्या है? नायलॉन की परिभाषा क्या होती है? नायलॉन का सूत्र क्या होता है? इसके बारे में विस्तारी के साथ बताएँगे। इसके साथ साथ हम आपको नायलॉन के गुण गुण कौन कौन से होते हैं? तथा नायलॉन के उपयोग क्या क्या होते हैं? इसके बारे में विस्तार के साथ बताएंगे। यह एक बहुत महत्वपूर्ण टॉपिक है इस टॉपिक के बारे में केमिस्ट्री के सभी स्टूडेंट्स को पता होना चाहिए। क्योंकि इस टॉपिक से सम्बंधित प्रश्न परीक्षाओं में पूछ लिए जाते हैं। इसलिए इस टॉपिक को ध्यानपूर्वक पढ़ें।

पिछले आर्टिकल में हमने आपको अक्रिय गैस किसे कहते हैं? इसके बारे में विस्तार के साथ बताया। यह एक बहुत महत्वपूर्ण टॉपिक है इस टॉपिक से सम्बंधित प्रश्न परीक्षाओं में पूछ लिए जाते हैं। इसलिए इस टॉपिक को केमिस्ट्री के सभी स्टूडेंट्स को पता होना चाहिए। यदि आपने अभी तक इस महत्वपूर्ण टॉपिक को नहीं पढ़ा है तो आप हमारी हिंदी केमिस्ट्री की इस वेबसाइट से इस टॉपिक को पढ़ सकते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको नायलॉन क्या है? नायलॉन की परिभाषा क्या होती है? नायलॉन का सूत्र क्या होता है? तथा नायलॉन के गुण, उपयोग के बारे में बताने वाले हैं। नायलॉन के बारे में विस्तार के साथ जानने के लिए हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।

बहुलक किसे कहते हैं?

नायलॉन की परिभाषा (नायलॉन क्या है?)

हमारे दैनिक जीवन में नायलॉन का उपयोग होता ही रहता है आप इस आर्टिकल में जानेंगे कि नायलॉन का उपयोग हमारे दैनिक जीवन में कहाँ कहाँ होता है। नायलॉन एक कृत्रिम तंतु है जिसे रासायनिक विधियों के द्वारा प्राप्त किया जाता है। जिसे Polyamide कहा जाता है। इसकी मजबूती, टिकाऊपन, जल्दी सूखना, सलवट प्रतिरोधकता आदि गुणों के कारण इसे जादुई रेशा (Magic Fibre) कहा जाता है। नायलॉन एक विशेष शब्द है जिसे रासायनिक यौगिको के समूह के लिए दिया गया है। इसे Polyamide नाम से वर्गीकृत किया जाता है। संघीय व्यापार आयोग (FTI) की परिभाषा के अनुसार, नायलॉन एक लम्बी श्रंखला वाला संश्लेषित Polyamide है। जिसमे 85 प्रतिशत से कम एमाइड श्रंखला दो एरोमैटिक रिंग से जुड़ी रहती हैं।

नायलॉन का रासायनिक सूत्र = (C12H22N2O2)n

नायलॉन की खोज

नायलॉन की खोज ई. आई. ड्यू . पोंट डी. नीम्यूरस एंड कम्पनी के विज्ञानी डॉ वेलेस एचकेरोथर्स (Wallace H Carothers) तथा उनके साथियों ने की थी। इन्होने वर्ष 1935 में बहुलीकरण द्वारा लीनियर पोलीमर बनाकर नायलोन का रेशा प्राप्त किया। शुरू में इसको 6.6 पॉलीमर के नाम से जाना जाता था। क्योंकि इसके दोनों घटक हेक्सामेथिलिन डायमीन और एडिपिक एसिड के प्रत्येक अणु में कार्बन के 6 परमाणु होते हैं। नायलॉन नाम इसे बाद में दिया गया।

नायलॉन रेशे का निर्माण

ऊपर के लेख में हमने आपको नायलॉन क्या है? नायलॉन की परिभाषा क्या होती है? तथा नायलॉन की खोज किसने की थी इसके बारे में बताया अब हम आपको नायलॉन रेशे के निर्माण के बारे में बताते हैं। नायलॉन रेशे का निर्माण निम्न विन्दुओं के माध्यम से समझा जा सकता है।

  • नायलॉन के रेशे के निर्माण के लिए ऑक्सीजन (O), हाइड्रोजन (H), नाइट्रोजन (N) एवं कार्बन (C) को निश्चित तथा नियंत्रित अनुपात में मिलाया जाता है। यह अनुपात कितना और कैसा होगा वह बनाए जाने वाले रेशे की प्रकृति पर निर्भर करता है।
  • नायलॉन के निर्माण के लिए आवश्यक आधार रासायन कोयला, हवा, पानी, पेट्रोलियम जैसी कच्ची सामग्री या अन्न के बाई प्रोडक्ट जैसे आटे के अवशिष्ट से हेक्सामेथेलीन डाई  एमीन तथा एसिडिक अम्ल दो रासायनिक पदार्थ बनते हैं।
  • नायलॉन को लवण बनाने के लिए इन्हें मिलाया जाता है। इस नायलॉन लवण को ऑटोक्लेव में डालकर गर्म करते हैं गर्म करने से छोटे छोटे अणु श्रंखलाबध्द होकर बढ़ा बहुलक बनाते हैं। इसे लिनियर सुपर पॉलीमर कहते हैं। इस लिनियर सुपर पॉलीमर को कास्टिंग व्हील पर फैलाकर पट्टी का आकार दिया जाता है। इस पट्टी को ज़माने के लिए पाने के द्वारा ठंडा किया जाता है। जमने के बाद इसे टुकड़ो में काटकर फ्लेक्स बना लिया जाता है।
  • अब इस फ्लेक्स को पिघलाकर गाढ़ा घोल बना लिया जाता है। इस गाढ़े घोल को स्पिनरेट से निकाला जाता है। जहाँ से रेशे बनकर बाहर निकालते हैं। सूखे कड़े रेशो को कंडिशनर से बाहर निकालते हैं जिससे कि इसमें नमी आ जाए। इसके बाद इन रेशों की बटाई कर ऐठन दी जाती है। तथा धागा बना लिया जाता है।

नायलॉन रेशे का निर्माण

नायलॉन के गुण

इससे ऊपर के लेख में हमने आपको नायलॉन क्या है? नायलॉन की परिभाषा क्या होती है? तथा नायलॉन की खोज किसने की थी इसके बारे में बताया तथा इसके साथ साथ हमने आपको नायलॉन रेशे का निर्माण किस तरह किया जाता है इसके बारे में बताया है। अब हम आपको नायलॉन के गुण कौन कौन से होते हैं इसके बारे में बताते हैं। नायलॉन के निम्नलिखित गुण होते हैं।

  1. नायलॉन चमकदार होता है अर्थात इसमें चमक होती है। इसमें प्लास्टिक में वांछित उपयोग के आधार पर बहुत चमकदार, अर्द्ध चमकदार या सुस्त होने की क्षमता होती है। यह इसका एक कारण है इसे कपड़े के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  2. नायलॉन प्रत्यास्थ होता है। क्योंकि यह अपने पिघलने के तापमान से ऊपर होता है। तो यह एक अक्रिस्टलीय ठोस या चिपचिपा तरल पदार्थ होता है। इसके पिघलने के तापमान के नीचे इसमें अनाकार क्षेत्र होते हैं।
  3. नायलॉन बहुत मजबूत होता है।
  4. नायलॉन तेल और कई रसायनों के लिए प्रतिरोधी होता है।
  5. नायलॉन में लचीलापन पाया जाता है।
  6. नायलॉन पानी को अवशोषित नहीं करता है।
  7. नायलॉन जल्दी सूखता है।

नायलॉन के उपयोग

इससे ऊपर के लेख में हमने आपको नायलॉन क्या है? नायलॉन की परिभाषा क्या होती है? तथा नायलॉन की खोज किसने की थी इसके बारे में बताया तथा इसके साथ साथ हमने आपको नायलॉन रेशे का निर्माण व नायलॉन गुण के बारे में बताया है। अब हम आपको नायलॉन के उपयोग के बारे में बताते हैं। नायलॉन के निम्नलिखित उपयोग होते हैं।

  1. नायलॉन का उपयोग कंघे, टूथब्रश, धागे में किया जाता है।
  2. नायलॉन का उपयोग पैरासूट, कार के टायरों, रस्सी आदि में किया जाता है।

नायलॉन के उपयोग

कैनिजारो अभिक्रिया क्या है?

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल में हमने आपको नायलॉन क्या है? नायलॉन की परिभाषा क्या होती है? नायलॉन का सूत्र क्या होता है? इसके बारे में विस्तार के साथ बताया है। इसके साथ साथ हम आपको नायलॉन के गुण कौन कौन से होते हैं? तथा नायलॉन के उपयोग क्या क्या होते हैं? इसके बारे में विस्तार के साथ बताया है। इसी प्रकार के महत्वपूर्ण टॉपिक की जानकारी हम अपनी हिंदी केमिस्ट्री की इस वेबसाइट पर देते रहते हैं। अन्य महत्वपूर्ण टॉपिक की जानकारी पाने के लिए जुड़े रहिए हमारी हिंदी केमिस्ट्री की वेबसाइट के साथ तब तक के लिए धन्यवाद।

 

SOCIAL SHARE

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *