टिंडल प्रभाव क्या है इसकी परिभाषा, उदाहरण, सूत्र, चित्र और महत्व

टिंडल प्रभाव क्या है?
हेल्लो दोस्तों स्वागत है आपका हमारी हिंदी केमिस्ट्री की वेवसाइट पर। आज हम आपको टिंडल प्रभाव क्या होता है। टिंडल प्रभाव की परिभाषा क्या होती है? तथा टिंडल प्रभाव के उदाहरण क्या होते हैं? इसके बारे में विस्तार के साथ बताएँगे। इसके साथ साथ हम आपको टिंडल प्रभाव की खोज किसने की और टिंडल प्रभाव किसमे देखा जा सकता है। इसके बारे में बताएँगे। टिंडल प्रभाव एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है। जो कई बार परीक्षाओं में पूंछा जा चुका है। टिंडल प्रभाव से जुड़ी सभी जानकारी हम आज के इस आर्टिकल में देने वाले हैं। टिंडल प्रभाव से जुड़ी जानकारी पाने के लिए हमारे सात अंत तक जुड़े रहिए।
पिछले आर्टिकल में हमने कैथोड और एनोड क्या है? इसके बारे में विस्तार के साथ बताया जिसे आप हमरी हिंदी केमिस्ट्री की इस वेवसाइट से पढ़ सकते हैं। और एनोड और कैथोड के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको टिंडल प्रभाव क्या है इसके बारे में विस्तार के साथ बताएँगे। टिंडल प्रभाव एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है। जिसको हम ने आपने आस पास महसूस किया होता है लेकिन इसकी जानकारी न होने पर हम इसकी पहचान नहीं कर पते हैं। इस आर्टिकल में आप टिंडल प्रभाव के बारे में बहुत अच्छी तरह से जान जाएँगे।
टिंडल प्रभाव की खोज
वैज्ञानिक जॉन टिंडल का जन्म 1820 में आयरलैंड में हुआ था। 1869 में वैज्ञानिक टिंडल ने बहुत ही महत्वपूर्ण घटना की खोज की जिसे टिंडल प्रभाव के नाम से जानते हैं। अतः टिंडल प्रभाव की खोज वैज्ञानिक जॉन टिंडल ने की थी। यह एक जाने माने वैज्ञानिक थे इन्होने कई महत्वपूर्ण खोजें की। इन्होने ग्रीन हॉउस प्रभाव, फाइबर ऑप्टिक्स आदि कई क्षेत्रों में काम किया।
टिंडल प्रभाव (टिंडल प्रभाव क्या है)
जब अँधेरे में रखे किसी कोलायडी विलयन में से प्रकाश किरण पुंज को गुजारा जाता है तो प्रकाश कोलायडी विलयन में उपस्थित कोलायडी कण से टकराता है जिससे प्रकाश का प्रकीरण होने लगता है। और विलयन में शंकु जैसी संरचना नजर आने लगती है। इसे टिंडल शंकु कहते हैं। क्योंकि इस घटना की खोज विज्ञानिक टिंडल ने की थी इसलिए इसे टिंडल प्रभाव कहते हैं। टिंडल प्रभाव एक ऐसी घटना है जिसके कारण हम यह जान पाते हैं कि प्रकाश के संपर्क में आने से जो नग्न कण हम नहीं देख पाते हैं, उन्हें कभी कभी क्यों देखा जा सकता है। अर्थात इस घटना में हमको वह कण भी देखने को मिलते हैं जिनको हम अपनी नग्न आँखों से नहीं देख सकते हैं।
इसे हम नीचे दिए गए चित्र के अनुसार भी समझ सकते हैं। इस प्रयोग को करने के लिए हम अंधेरे कमरे में दो विलयनो को रखते हैं उनमें से एक विलयन साधरण विलयन होता है और दूसरा विलयन कोलायडी विलयन होता है। जब हम इन विलयनो पर प्रकाश डालते हैं तो साधारण विलयन में प्रकाश किरण पुंज दिखाई नहीं देता है जबकि कोलायडी विलयन में प्रकाश किरण पुंज नजर आने लगता है। इसी प्रभाव को टिंडल प्रभाव कहते हैं।
कारण- इसका कारण यह है कि साधारण या वास्तविक विलयनो के कणों का आकार बहुत ही छोटा होता है। इसलिए जब साधारण विलयन से प्रकाश गुजरा जाता है तो प्रकाश का प्रकीरण नहीं हो पाता है। जबकि कोलायडी विलयनो के कणों का आकार साधरण विलयन के कणों की अपेक्षा बढ़ा होता है जिससे प्रकाश का प्रकीरण हो जाता है। और ये प्रकाश हमारी आँखों से टकराता है। जिससे विलयन हमें चमकदार दिखाई देने लगता है।
टिंडल प्रभाव के उदाहरण
ऊपर के लेख में हमने आपको टिंडल प्रभाव किया है? टिंडल प्रभाव की खोज किस वैज्ञानिक ने की थी?तथा टिंडल प्रभाव का कारण क्या होता है? इसके बारे में बताया गया। अब हम आपको टिंडल प्रभाव के उदाहरण के बारे में बताएँगे। टिंडल प्रभाव के हमारे दैनिक जीवन में कई उदाहरण देखने को मिलते हैं। जो निम्नलिखित हैं –
- जब किसे अँधेरे कमरे में किसी एक छिद्र से प्रकाश आता है तो आपने देखा होगा प्रकाश का मार्ग चमकता हुआ दिखाई देता है। इस स्थिति में कमरे में उपस्थित धूल के कण कोलायडी कणों की भांति व्यवहार करते हैं। जिससे प्रकाश का प्रकीरण होता है और प्रकाश हमारी आँखों तक पहुँचता है, और हमें प्रकाश का मार्ग चमकता हुआ दिखाई देता है।
- जब हम अँधेरे में किसी दूध के गिलास में टार्च चमकाते हैं तो हम टिंडल प्रभाव को देख सकते हैं।
- सिनेमा घरों में प्रोजेक्टर से आने वाला प्रकाश पुंज हमें आसानी से दिखाई देता है। इसका कारण टिंडल प्रभाव होता है।
- कार या मोटर साईकिल के इंजन से निकलने वाले धुंए के नीले रंग में टिंडल प्रभाव को देखा जा सकता है। यह भी टिंडल प्रभाव का एक उदाहरण है।
- कोहरे में हेडलाइट से निकलने वाले प्रकाश में भी हमें यह प्रभाव देकने को मिलता है। जो टिंडल प्रभाव का उदाहरण है।
टिंडल प्रभाव की शर्तें
टिंडल प्रभाव केवल निम्न शर्तों पर ही कार्य करता है।
- कोलायडी कणों का आकार प्रकाश की तरंगदैर्द्ध से बहुत कम नहीं होना चाहिए।
- परिक्षिप्त प्रबस्था तथा परिक्षेपण माध्यम के अपवर्तनांक में बहुत अधिक अंतर नहीं होना चाहिए।
टिंडल प्रभाव को प्रभावित करने वाले कारक
अब आप जान गए होंगे कि टिंडल प्रभाव प्रकाश के प्रकीरण से सम्बंधित होता है। और यह तब होता है जब प्रकाश किरण कोलायडी विलयन से गुजरती हैं इस प्रकार हम कह सकते हैं कि टिंडल प्रभाव को प्रभावित करने वाले कारक वे कारक होंगे जो प्रकाश के गुण से सम्बंधित होंगे। अतः हम कह सकते हैं कि टिंडल प्रभाव को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक प्रकाश की आवृत्ति और कणों का घनत्व हैं।
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको टिंडल प्रभाव क्या है? टिंडल प्रभाव की खोज किस वैज्ञानिक ने की थी? तथा टिंडल प्रभाव के उदाहरण कौन कौन से हैं? टिंडल प्रभाव की शर्ते क्या हैं? और इसके साथ साथ हमने टिंडल प्रभाव को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं? इसके बारे में भी बताया है। टिंडल प्रभाव हमारे दैनिक जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण टॉपिक है। यह टॉपिक परीक्षा की दृष्टी से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसी तरह के महत्वपूर्ण टॉपिक की जानकारी हम अपनी वेवसाइट हिंदी केमिस्ट्री पर देते रहते हैं। इसी प्रकार की और भी जानकारी पाने के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ तब तक के लिए धन्यवाद।