इलेक्ट्रॉन क्या है और इसकी खोज किसने की थी? What is Electron in Hindi

इलेक्ट्रॉन क्या है
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परमाणु में ऐसे कण पाए जाते हैं जोकि रसायनिक अभिक्रिया के लिए उत्तरदाई होते हैं। इन कणों के बिना रसायन विज्ञान का अस्तित्व ही नहीं है और भौतिक विज्ञान के भी बहुत सारे प्रयोगों में इन कणों का योगदान रहता है। हमारे घर में आने वाली बिजली भी इन्हीं कणों की ही देन है। हम बात कर रहे हैं इलेक्ट्रोंस के बारे में। यदि आपको इनके बारे में कुछ नॉलेज नही है, तो आपको आज के इस आर्टिकल इलेक्ट्रॉन क्या है में इलेक्ट्रॉन के बारे जानकारी देंगे।

इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की और इलेक्ट्रॉन क्या है? इसको कौन से प्रयोग से खोजा गया था तथा कितने वर्ष पहले यह प्रयोग किया गया था? इलेक्ट्रॉन विन्यास किसे कहते हैं, परमाणु के धन आवेशित भाग को क्या कहते हैं? जैसे कई महत्वपूर्ण प्रश्नों को जानने के लिए हमारे इस आर्टिकल को ध्यान पूर्वक पढ़ाते रहें ताकि आपको इलेक्ट्रॉन से संबंधित हर संभव जानकारी प्राप्त हो सके।

इलेक्ट्रॉन क्या है? What is Electron in Hindi

इलेक्ट्रॉन ऐसा बात ऋण आवेशित वैद्युत आवेश वाला कण होता है जो परमाणु के अंदर पाया जाता है। यह परमाणु के नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं।

योगिक किसे कहते हैं?

इसकी खोज किसने की थी?

सर्वप्रथम इलेक्ट्रॉन की खोज करने का प्रयास वैज्ञानिक जे जे थॉमसन के द्वारा किया गया। और थॉमसन अपने प्रयोग में सफल भी हुए इसलिए थॉमसन को इलेक्ट्रॉन की खोज कर्ता के रूप में जाना जाता है। इलेक्ट्रॉन की खोज आज से लगभग 125 साल पहले हुई थी। इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान बहुत ही कम होता है। अर्थात इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 10 की घात -31 किलोग्राम की कोटी का होता है। इलेक्ट्रॉन को लिखते समय e- से दर्शाते हैं। किसी परमाणु में पाए जाने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या उस परमाणु में उपस्थित प्रोटोंस की संख्या के बराबर होती है जिस कारण कोई भी परमाणु उदासीन होता है। इलेक्ट्रॉन पर आवेश -1.6E-19 होता है।

इलेक्ट्रॉन की खोज के लिए प्रयोग – Experiment for the discovery of electron

वैज्ञानिक जे जे थॉमसन में सन 1897 में इलेक्ट्रॉन की खोज के लिए एक प्रयोग किया था। जे जे थॉमसन ही पर पहले महान वैज्ञानिक थे जिन्होंने इलेक्ट्रॉन के बारे में दुनिया को ज्ञान दिया।थॉमसन, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की कंडेविस लैब में सन 1897 में इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज पर प्रयोग कर रहे थे। उन्होंने पाया कि कम दाम होने पर जब गैस पर उच्च वोल्टता आरोपित की जाती है तो एक बहुत ही अधिक चमकीली चमक उत्पन्न हुई है। इस चमक का कारण उनके द्वारा बताया गया कि यह कैथोड से निकलने वाले कुछ कण होते हैं जो चमक पैदा करते हैं।

इसके बाद अपनी खोज को आगे बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक थॉमसन ने एक कांच की ट्यूब ली और इसमें से वायु को निकाल दिया। अर्थात इस कांच की ट्यूब में उन्होंने निर्वात उत्पन्न कर दिया। इसके बाद उन्होंने कांच की ट्यूब के दोनों तरफ इलेक्ट्रोड लगा दिए और इसे उच्च वोल्टता के स्रोत से जोड़ दिया गया। ऐसा करने पर उन्होंने पाया कि कुछ करो की गति कैथोड से एनोड की तरह हो रही है।

कैथोड का मतलब ऋण आत्मक से और एनोड का मतलब धनात्मक से होता है। अर्थात यह कल ऋण आवेशित इलेक्ट्रोड से धन आवेशित इलेक्ट्रोड की ओर जा रहे थे। इससे एक बात तो बिल्कुल साफ थी कि इन कणों पर ऋण आवेश पाया जाता है इसलिए यह धनात्मक इलेक्ट्रोड की ओर आकर्षित हो रहे हैं। अंततः इन ऋण आवेशित कणों को ही वैज्ञानिक थॉमसन ने इलेक्ट्रॉन कहा। थॉमसन के इस संपूर्ण प्रयोग को कैथोड रे-ट्यूब प्रयोग या CBT कहते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास किसे कहते हैं? What is electronic configuration?

किसी तत्व में परमाणु के अंदर इलेक्ट्रॉनों को कक्षकों में एक व्यवस्थित तरीके से भरा जाता है, जिसे इलेक्ट्रॉन विन्यास कहते हैं। इलेक्ट्रॉनों को कक्षकों के अंदर ऊर्जा के बढ़ते क्रम में भरा जाता है।

इलेक्ट्रॉन के बारे में अन्य जानकारी – Some other information about electron

यह परमाणु संगठन का सबसे मूलभूत कण होता है। इलेक्ट्रॉन पर गुरुत्वाकर्षण और विद्युत चुंबकीय बल भी कार्य करते हैं चूंकि इनका मान बहुत ही कम होता है। इलेक्ट्रॉन को e- या फिर ß‐ से व्यक्त किया जाता है। इलेक्ट्रॉन का अपोजिट अथवा प्रतिकण पोजिट्रोन कहलाता है। इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.109 × 10-31 kg होता है। यह द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का 1/1837 गुना होता है।

इलेक्ट्रॉन कण पर आवेश का मन 1.6 × 10-19 coulomb होता है। इलेक्ट्रॉन कण और तरंग दोनों की तरह अपना व्यवहार प्रदर्शित करता है। जब बीटा क्षय होता है तब यह कल के रूप में व्यवहार करता है और जब यंग डबल स्लित एक्सपेरिमेंट होता है तब यह एक किरण की भांति व्यवहार करता है। इलेक्ट्रॉन का सांख्यिकी व्यवहार फर्मिऑन होता है तथा यह पाउली के एक्सक्लूजन सिद्धांत का भी पालन करता है।

बहुत सी भौतिक घटना है जैसे कि चुंबकत्व, ऊष्मा की चालकता, विद्युत का प्रवाह आदि में इलेक्ट्रॉन की अहम भूमिका होती है। जब इलेक्ट्रॉन गति करता है तब यह फोटोन के रूप में या तो ऊर्जा को अवशोषित करता है, या फिर ऊर्जा को उत्सर्जित करता है। परमाणु के अंदर इलेक्ट्रॉन, नाभिक के साथ मजबूत coulomb Force से बंधे रहते हैं। जब कोई दो रसायनिक पदार्थ आपस में अभिक्रिया करते हैं, तो इलेक्ट्रॉन के आदान प्रदान से ही रसायनिक बंधो का निर्माण होता है। किसी रासायनिक पदार्थ का रंग उसमे उपस्थित आयुग्मित इलेक्ट्रॉनों के कारण ही बनता है। आर्टिकल इलेक्ट्रॉन क्या है में अन्य कण की खोज को भी जान लेते हैं।

इलेक्ट्रॉन के बाद अन्य कणों की खोज other particle Discovery after electron

इलेक्ट्रॉन की खोज के बाद कुछ अन्य वैज्ञानिक जैसे कि रदरफोर्ड ने यह सोचा कि जब इलेक्ट्रॉन परमाणु के अंदर एक आवेशित कण है तो जरूर परमाणु में कोई धनावेशित कण भी पाया जाता होगा। जिससे कि एक परमाणु उदासीन अवस्था में रहता है। इसलिए बात को सिद्ध करने के लिए रदरफोर्ड ने अल्फा कण प्रकीर्णन का प्रयोग किया। जिनमें इन्होंने सोने की पतली परत पर अल्फा कणों की बौछार कराई। इनके प्रयोग में लभग 8000 अल्फा कणों में से एक अल्फा कण ऐसा भी था जो पलटकर वापस आ गया।

विशाल पकड़ के वापस आने का कारण यही था कि परमाणु के मध्य में कोई ठोस धन आवेश भाग होता है। जिससे टकराकर यह अल्फा कण पुनः अपने मार्ग में वापस आ गया। इस प्रयोग में यह भी ज्ञात हुआ कि नाभिक का आकार परमाणु के आकार से बहुत ही छोटा अर्थात करीब एक लाख गुना छोटा होता है। परमाणु का समस्त द्रव्य इसी नाभिक में समाहित रहता है। नाभि के चारो और खाली कक्ष पाए जाते हैं जिनमें इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाते हैं। नाभिक में जो धन आवेशित कण मौजूद होते हैं उन्हें प्रोटोन कहा जाता है। इसके अलावा नाभिक में न्यूट्रॉन कण भी उपस्थित होते हैं जो कि उदासीन होते हैं।

इलेक्ट्रॉन प्रक्रिया

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निष्कर्ष

आज के इस लेख मे हमने इलेक्ट्रॉन के बारे मे पढ़ा। जिसमे इलेक्ट्रॉन की उदासीनता, इलेक्ट्रॉन विन्यास आदि के बारे मे जाना। इस लेख से जुड़ा कोई प्रश्न जरूर पूछें।

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