पर्यावरण रसायन किसे कहते हैं Environmental Chemistry in Hindi?

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हम जिस जगह पर रह रहे हैं उसके चारों ओर का वातावरण पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण हमारा एक अभिन्न अंग है। क्योंकि जीवो के साथ होने वाली सारी घटनाएं इस पर्यावरण में ही संपन्न होती हैं। परंतु हमारे पर्यावरण में बहुत से ऐसे घटक पाए जाते हैं जो इस को निरंतर नुकसान पहुंचा रहे हैं। इन्हें हम प्रदूषक कहते। हम आज के Environmental Chemistry in Hindi में पर्यावरण रसायन से संबंधित बहुत ऐसी बातों की चर्चा करेंगे जिन्हें पढ़कर आप अपनी ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं।

पर्यावरण किसे कहते हैं? पर्यावरण रसायन का क्या तात्पर्य है? इसमें कौन-कौन से प्रदूषण होते हैं? प्रदूषण किसे कहते हैं तथा कितने प्रकार के होते हैं? ऐसे ही कई महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर आज आपको हमारे इस आर्टिकल Environmental Chemistry in Hindi में मिलने वाला है। आर्टिकल के अंत में हम आपको आज का सबसे खास प्रश्न अम्लीय वर्षा के बारे में बताएंगे।

पर्यावरण रसायन किसे हैं? – What is Environmental Chemistry in Hindi?

पर्यावरण रसायन , रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसमें प्रकृति में होने वाली वातावरण में स्रोतों, प्रतिक्रियाओं, परिवहन, प्रभाव, और रसायनों की चेतावनी का अध्ययन किया जाता है।

जब पर्यावरण में उपस्थित आवश्यक घटकों जैसे वायु, जल, मिट्टी आदि में कोई अवांछनीय परिवर्तन हो जाता है और यह मानव जीवन के लिए खतरा बनने लगता है तो इसे हम पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। पर्यावरण एक ऐसा पाठ है जो लगभग हर कक्षा की पाठ्य सामग्री में जोड़ा गया है। स्नातक और परास्नातक की कक्षाओं में भी पर्यावरण से संबंधित पाठ पढ़ाया जाता है। उपरोक्त वाक्यांशो की सहायता से आप Definition of environmental chemistry समझ गए होंगे।

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हमारा वायुमंडल और प्रदूषण – Our Environment And Pollution

हमारी पृथ्वी के चारो ओर पाए जाने वाले पृथ्वी के आवरण को वायुमंडल कहते हैं। हमारे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण यह कैसे पृथ्वी के चारों ओर गैस की एक मोटी परत बना लेती हैं। वायुमंडल में विभिन्न परतें पाई जाती हैं जिनको अलग-अलग नाम दिए गए हैं। जब हमारे वायुमंडल में कोई अवांछनीय घटक आ जाता है या वायु के संगठन में कोई कमिया या बढ़ोतरी हो जाती है तो इसे वायु प्रदूषण कहते हैं। वायु प्रदूषण को मुख्यतः दो घटकों में बांटा गया है – प्राथमिक और द्वितीयक प्रदूषक।

प्राथमिक प्रदूषक प्राकृतिक आपदाओं से ज्वालामुखी विस्फोट आदि से तैयार राख की तरह होता है। जबकि द्वितीय या माध्यमिक प्रदूषक किसी एक अभिक्रिया से नहीं बनते हैं। यह प्राथमिक प्रदूषक के साथ क्रिया करके हवा में पनपने लगते हैं।

कुछ प्रमुख प्राथमिक प्रदूषक – Some important Primary Pollutant

कुछ प्रमुख प्राथमिक प्रदूषक के बारे में विस्तार से जान लेते हैं जो कि निम्न प्रकार हैं –

SO2 (सल्फर डाइऑक्साइड) –

यह क्या ज्वालामुखी अब तथा उसके प्राकृतिक अभिक्रिया से प्राप्त होती है। मोटरसाइकिल वाहन आदि में पेट्रोल के दहन से भी सल्फर डाइ ऑक्साइड का निर्माण होता है। सल्फर डाइऑक्साइड वायु की नमी के साथ अभिक्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल का निर्माण करती है और अम्लीय वर्षा के रूप में नीचे आती है।

NO2 (नाईट्रोजन डाइऑक्साइड) –

वायुमंडल में जो बिजली कड़कती है तब इस गैस का उत्पादन होता है। यह वायुमंडल में नीली परत बना लेती है। यह भी एक मुख्य प्राथमिक प्रदूषक है।

CO (कार्बन मोनोऑक्साइड) –

एक गैस रंगहीन और गंधहीन होती है। हाइड्रोकार्बंस के अपूर्ण दहन से यह गैस उत्पन्न होती है। वाहनों के धुएं से भी कार्बन मोनो ऑक्साइड का निर्माण होता है।

CFCs (क्लोरोफ्लोरोकार्बन) –

यह गैस हमारे फ्रिज, एसी, सोफा से उत्पन्न होती है। यह क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस समताप मंडल में पहुंचकर ओजोन की परत को नुकसान पहुंचाती है। अब आर्टिकल Environmental Chemistry in Hindi में आपको आगे मध्यमिक प्रदूषण के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

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कुछ प्रमुख मध्यमिक प्रदूषक – Some important secondary Pollutant

Photochemical Smog –

स्मॉग का अर्थ धुएं तथा कोहरे का मिलाजुला रूप होता है। किसी क्षेत्र में अधिक स्मॉग का कारण वहां कोयले का अधिक दहन हो सकता है। यह वायु प्रदूषक है।  फोटोकेमिकल स्मॉग भूमि और सल्फर डाइऑक्साइड के मिश्रण के द्वारा तैयार होता है।

ओजोन –

इस गैस के पद वायुमंडल में ऊपरी सतह पर पाई जाती है। यह पर सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती हैं। परंतु यह भी एक हानिकारक प्रदूषण के रूप में जाना जाता है, क्योंकि पृथ्वी पर अपने हानिकारक प्रभाव दिखाता है। ओजोन से आंखों में और बदन में खुजली हो जाती है।

लैड –

इसे सामान्य भाषा में शीशा भी बोलते हैं। यह पदार्थ पेट्रोल, डीजल, बैटरी आदि में पाया जाता है। मानव शरीर में यह विभिन्न रोग पैदा कर सकता है। यह सबसे ज्यादा जीवो के रासायनिक तंत्र को प्रभावित करता है। कैंसर जैसी घातक बीमारियों को जन्म दे सकता है।

पर्यावरण को स्वच्छ रखने के कुछ प्रमुख उपाय

  • पर्यावरण को स्वच्छ रखने हेतु सरकार द्वारा विभिन्न प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं, नागरिकों का दायित्व बनता है कि वह उन प्रोग्राम में भाग ले और अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ बनाएं।
  • जंगलों की अनावश्यक कटाई ना करें क्युकी इससे मौसम में बड़ा बदलाव देखने को मिलता है और हमारा वातावरण और पर्यावरण असंतुलित हो जाता है।
  • अधिक से अधिक वृक्षारोपण में भागीदारी करना और अपने आसपास के खाली स्थानों में वृक्षों को लगाना। ऐसा करने से हम बहुत हद तक अपने पर्यावरण की सुरक्षा कर पाएंगे।
  • जल का संरक्षण करना चाहिए। इससे बेवजह इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए। जल जीवन की महत्वपूर्ण इकाई है इसके बिना जीवन का अनुमान लगाना संभव है। जल के भंडारण के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • पॉलिथीन से बने सामान का प्रयोग करना बिल्कुल बंद कर दें क्योंकि यह हमारे वातावरण को कई प्रकार की परेशानियों में डाल देती है। इस पॉलिथीन का विघटन भी नहीं होता है। और ये बिना सड़े गले हजारों सालों तक मिट्टी में दफन रहती है।
  • अपने आसपास की जगह ऐसे गड्ढे जहां पर पानी भरा रहता है उन गड्ढों को भर देना चाहिए ताकि इसमें कीड़े मकोड़े और मच्छर आदि ना पनपे।
  • घर-घर जाकर लोगों को पर्यावरण बचाने के लिए जागरूक करना चाहिए जिससे कि लोग समाज में पर्यावरण को बचाने की भावना उत्पन्न हो।

अम्लीय वर्षा क्या है? What is Acid Rain?

जब वर्षा का PH मान 5.6 से कम हो जाता है, तो ऐसे अम्लीय वर्षा का नाम देते हैं। वायुमंडल में उपस्थित सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड गैस वायुमंडल की नमी के साथ क्रिया कर के अम्ल बना लेती हैं और जब वर्षा होती है तब यह अम्ल बारिश के साथ मिश्रित होके आता है। ताजमहल का संगमरमर पत्थर, अम्लीय वर्षा के कारण ही पीले रंग का होता जा रहा है।

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निष्कर्ष

दोस्तों आशा करता हूँ की आपको आज का हमारा ये लेख जरूर पसंद आया होगा। क्योंकि आज के इस आर्टिक्ल मे हमने पर्यावरण रसायन से जुड़े हमने कई बिन्दुओं पर की। अगर अभी भी कोई प्रश्न है तो कृपया कॉमेंट बॉक्स मे अवश्य पूछें।

 

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