नाभिकीय ऊर्जा क्या है इसकी परिभाषा, महत्व, लाभ और हानि

नाभिकीय ऊर्जा क्या है
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पिछले आर्टिकल में हमने आपको आवोगाद्रो का नियम क्या है? इसके बारे में विस्तार के साथ बताया। जो एक बहुत महत्वपूर्ण टॉपिक है अगर आपने इस टॉपिक को अभी तक नहीं पड़ा तो आप हमारी हिंदी केमिस्ट्री की इस वेबसाइट से इस टॉपिक को पढ़ सकते हैं यह एक बहुत महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए। आज के इस आर्टिकल में हम आपको नाभिकीय ऊर्जा क्या है इसकी परिभाषा, महत्व लाभ और हानि के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं। नाभिकीय ऊर्जा से सम्बंधित जानकारी पाने के लिए हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े ताकि यह टॉपिक आपको अच्छे से समझ आ सके।

नाभिक क्या है?

नाभिकीय ऊर्जा की परिभाषा तथा नाभिकीय ऊर्जा क्या है?

किसी परमाणु के नाभिक से उत्पन्न ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy) कहते हैं। रदरफोर्ड ने नाभिक की खोज 1911 में की थी नाभिकीय अभिक्रियाओं में परमाणु के नाभिक भाग लेते हैं जिसमे तत्वो के परमाणुओं के नाभिको की संरचना में परिवर्तन होता है जिसके फलस्वरूप नए परमाणु या नए कण बनते हैं और साथ ही ऊर्जा की विशाल मात्रा उत्सर्जित होती है इस उत्सर्जित ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं।

नाभिकीय ऊर्जा की परिभाषा

नाभिकीय ऊर्जा के प्रकार (नाभिकीय ऊर्जा क्या है)

नाभिकीय ऊर्जा दो प्रकार की होती हैं।

  1. नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission)
  2. नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion)

1. नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission)

नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission) = नाभिको का लगभग बराबर भागो में टूटना

अतः इस प्रकार हम कह सकते हैं जब कोई भारी नाभिक दो या दो से अधिक नाभिकियो में बराबर भागो में टूट जाता है तो इसे नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission) कहते हैं। अथवा भारी परमाणुओं के नाभिको के मध्यम द्रव्यमान वाले परमाणुओं के नाभिको में टूट जाने की घटना या क्रिया को नाभिकीय विखंडन कहते हैं।

92U235 + 0n1 _____________> 56Ba141 +36Kr92 + 3 0n1 + 200 Mev

इस अभिक्रिया में 92U235 यह एक नाभिक है और यह भारी परमाणु है तो यह दो परमाणुओं में टूट गया है पहला भाग नाभिक 56Ba141 तथा दूसरा भाग 36Kr92 में टूट गया है इसे ही नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission) कहते हैं। नाभिकीय विखंडन की क्रिया में थोड़ी सी द्रव्यमान क्षति होती है जो ऊर्जा की विशाल मात्रा के रूप में प्रकट होती है। इस क्रिया में 3 न्यूट्रॉन और 200 Mev ऊर्जा विमुक्त होती है। Mev का पूरा नाम मेगा इलेक्ट्रान वोल्ट होता है।

नाभिकीय विखंडन की खोज ऑटोहान तथा स्ट्रासमान वैज्ञानिको ने 1939 में की थी। इनके अनुसार जब यूरेनियम-235 पर मंद गति से न्यूट्रॉन की बौछार की जाती है तो यूरेनियम-235 का नाभिक लगभग दो बराबर के खंडो में विभक्त हो जाता है। यूरेनियम के केवल एक परमाणु के विखंडन से प्राप्त ऊर्जा, प्राकृतिक गैस के एक अणु के दहन से प्राप्त ऊर्जा की तुलना में 200 करोड़ गुना अधिक होती है।

2. नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion)

नाभिकीय संलयन का अर्थ है नाभिको का संयुक्त होना। नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) में दो बहुत हलके नाभिक परस्पर संयुक्त होकर अधिक स्थायी भारी नाभिक बनाते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि नाभिकीय संलयन वह अभिक्रिया है जिसमे दो बहुत हलके नाभिक परस्पर संयुक्त होकर भारी नाभिक बनाते हैं। नाभिकीय संलयन अभिक्रिया में द्रव्यमान क्षति अधिक होने के कारण अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। जिसकी मात्रा नाभिकीय विखंडन में उत्पन्न ऊर्जा की मात्रा में कई गुना अधिक होती है। संलयन अभिक्रियाएँ साधारण ताप पर नहीं होती हैं क्योंकि धनावेशित नाभिक एक दूसरे को परस्पर प्रतिकर्षित करते हैं।

नाभिको का संलयन बहुत ऊचे ताप पर होता है इसलिए नाभिकीय संलयन अभिक्रियाओं को ताप नाभिकीय अभिक्रियाएँ भी कहते हैं। संलयन अभिक्रिया आरम्भ होने के पश्चात् बहार से ऊर्जा देने की आवश्यकता नहीं होती है। हाइड्रोजन बम और सूर्य की ऊर्जा नाभिकीय संलयन के सिद्धांत पर ही आधारित है।

नाभिकीय ऊर्जा के प्रकार

नाभिकीय ऊर्जा का महत्व (नाभिकीय ऊर्जा क्या है)

नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग कई जगह किया जाता है।

  • इसका उपयोग विद्युत के उत्पादन में होता है।
  • नाभिकीय ऊर्जा से जो ऊष्मा मिलती है उसका उपयोग भाप बनाने में किया जाता है।जिसके बाद उससे बिजली बनती है।
  • वर्ष 2009 में दुनिया की 15 प्रतिशत बिजली का उत्पादन नाभिकीय ऊर्जा से हुआ था।
  • अन्तरिक्ष में नाभिकीय ऊर्जा के विखंडन तथा संलयन दोनों का ही उपयोग होता है।

नाभिकीय ऊर्जा के लाभ

नाभिकीय ऊर्जा के लाभ निम्नलिखित हैं।

  • इसके निर्माण में CO2 की कम मात्रा का उत्पादन होता है। इसकी बजह से पर्यावरण को कोई हानि नहीं होती है।
  • नाभिकीय अभिक्रिया ग्लोबल वार्मिंग में किसी भी प्रकार का  योगदान नहीं देती है।
  • नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन में केवल एक प्रकार की इकाई ही उपयोग में आती है।
  • नाभिकीय ऊर्जा से प्रदूषण कम होता है।
  • यह ऊर्जा का स्थायी आधार होता है।

नाभिकीय ऊर्जा की हानि

नाभिकीय ऊर्जा की हानि निम्नलिखित हैं।

  • उर्जा का संचय करना मुश्किल होता है।
  • यह जीवधारियों को नुक्सान भी पहुचाती है।
  • नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन में जो धातु उपयोग में आती है वह धातु यूरेनियम है जो प्रकृति में बहुत कम मात्रा में पाई जाती है।

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निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने आपको नाभिकीय ऊर्जा क्या है? नाभिकीय ऊर्जा की परिभाषा क्या है? नाभिकीय ऊर्जा के लाभ और हानि क्या हैं? नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्व है? इसके बारे में विस्तार के साथ बताया है। इसके साथ साथ हमने आपको नाभिकीय ऊर्जा कैसे उत्पन्न होती है? इसके बारे में बिस्तार के साथ बताया है। नाभिकीय ऊर्जा एक महत्वपूर्ण टॉपिक है इसके बारे में केमिस्ट्री के सभी स्टूडेंट को पता होना चाहिए। इससे सम्बंधित प्रश्न परीक्षाओं में पूछ लिए जाते हैं। इसलिए इसके बारे में स्टूडेंट्स को पता होना चाहिए। इसी प्रकार के महत्वपूर्ण टॉपिक की जानकारी हम अपनी इस वेबसाइट पर देते रहते हैं इस प्रकार के और भी मत्वपूर्ण टॉपिक की जानकारी पाने के लिए जुड़े रहिए हमारी हिंदी केमिस्ट्री की वेबसाइट के साथ तब तक के लिए धन्यवाद।

 

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