प्रोटीन क्या है? इसके कार्य, नाम, परिभाषा, और वर्गीकरण (Protein in Hindi)

प्रोटीन क्या है
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हेल्लो दोस्तों हमारे आज के इस आर्टिकल प्रोटीन क्या है में आप का स्वागत है। आज हम आपको इस आर्टिकल में  विस्तार के साथ बताएँगे कि प्रोटीन क्या है? यह कितने प्रकार की होती है प्रोटीन के कार्य क्या होते हैं? प्रोटीन शब्द का प्रयोग सबसे पहले किस वैज्ञानिक ने किया और इसके अलावा हम प्रोटीन के वर्गीकरण के बारे में जानेंगे। हम  इस आर्टिकल में जानेंगे कि प्रोटीन की कमी से हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है। तो सबसे पहले हम आपको यह बताना चाहते हैं। दोस्तों प्रोटीन शब्द का प्रयोग सबसे पहले जे. बर्ज़ीलियस नाम के एक वैज्ञानिक ने किया था।

प्रोटीन की कमी से शरीर में कई गंभीर बीमारी हो सकती हैं। प्रोटीन की कमी होने पर जोड़ो में दर्द, शरीर में दर्द, शरीर में थकान जैसी समस्याएँ पैदा हो जाती हैं। इसलिए शरीर में मांसपेशियों के विकास, स्किन को बेहतर बनाए रखने के लिए और हार्मोन्स का संतुलन बनाए रखने के लिए शरीर में प्रोटीन की संतुलित मात्रा होनी चाहिए। इसलिए हम आप को बता दें कि हमें दिन में कितनी मात्रा में प्रोटीन लेनी चाहिए इसके बारे में नेशनल इंस्टीटूट ऑफ़ न्यूट्रीशन का मानना है कि हर व्यक्ति को प्रतिदिन लगभग 50 ग्राम और महिलाओं को 46 ग्राम प्रोटीन लेनी चाहिए।

नाइट्रोजन किसे कहते हैं?

प्रोटीन की परिभाषा (प्रोटीन क्या है?)

प्रोटीन एक  जटिल कार्बनिक योगिक है जो बहुत से एमिनो अम्ल से मिलकर बनी होती है। प्रोटीन प्रकृति में बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है यह हमें दूध, पनीर, दाले, मीट, मछली आदि से प्राप्त होती है। यह हमारे शरीर के प्रत्येक भाग में पाई जाती है और हमारे शरीर की संरचना का मूल आधार होती है। यह मुख्य रूप से कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से मिलकर बनी होती है।

प्रोटीन एक प्रकार के उच्च अणुभार वाले बहुलक होते हैं प्रोटीन में COOH व N2 समूह पाया जाता है जिस कारण प्रोटीन का अणु उभयधर्मी होता है। प्रोटीन से हमारे शरीर की इमुनिटी व मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखने का कार्य करती है। हमारे शरीर का 80% से 20% भार प्रोटीन के कारण ही होता है। इसके अलावा यह हमारे शरीर के हृदय व फेफड़ों को भी स्वस्थ बनाए रखने में कारगर है। प्रोटीन शरीर के सभी अंगों को सुचारू रूप से चलाने में महत्पूर्ण भूमिका निभाता है। यह ऊतकों और अंगो को आकार प्रदान करता है और उनके द्वारा उनका कार्य करवाने में मदद करता है।

प्रोटीन के कार्य

दोस्तों अगर हम बात करें  प्रोटीन के कार्यो की तो प्रोटीन के कार्य कुछ इस प्रकार हैं – प्रोटीन विभिन्न प्रकार के जीव जन्तुओ के शरीर निर्माण में सहायक होती है, शरीर की नई कोशिकाओं के निर्माण में , टूटी फूटी कोशिकाओं की मरम्मत तथा शरीर की वृद्धि के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है। श्वसन वर्णक के रूप में हीमोग्लोबिन, यह एक प्रकार की प्रोटीन है जिसके कारण हमारे शरीर का रक्त (Blood) का रंग लाल होता है इंटरफेरॉन प्रोटीन विषाणु के संक्रमण के फलस्वरूप कोशिकाओं में स्राबित होती है।  यह प्रोटीन अपनी आस पास की कोशिकाओं को संक्रमण से बचाती है अतः इसको प्रतिविषाणु (Antiviral) प्रोटीन कहते हैं।

प्रोटीन के कार्य

नुक्लियोप्रोटीन यह भी एक प्रकार की प्रोटीन होती है जो जीन का प्रमुख घटक है जो माता पिता के गुणों को संतानों में पहुँचाने का एक महत्वपूर्ण कार्य करती है दोस्तों अभी हम आप को बता चुके हैं कि प्रोटीन क्या होती है और प्रोटीन के कार्य क्या होते हैं।तो दोस्तों अब हम आपको प्रोटीन के वर्गीकरण के बारे में बताएँगे।

प्रोटीन का वर्गीकरण

सजीवो में पाई जाने वाली प्रोटीन की संरचना, स्त्रोत तथा गुणों के आधार पर इसे तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है।

प्रोटीन का वर्गीकरण

स्त्रोत के आधार पर प्रोटीन का वर्गीकरण

स्त्रोत के आधार पर प्रोटीन को दो भागों में बाटा गया है  इसमें पहले नंबर पर प्राणी जगत से प्राप्त होने वाली प्रोटीन को रखा गया है और दूसरे नंबर पर वनस्पति जगत से प्राप्त होने वाली प्रोटीन को रखा गया है।

  • प्राणी जगत से प्राप्त की जाने वाली समस्त प्रोटीन को जंतु प्रोटीन कहते हैं जो मांस, मछली, अंडे और दूध तथा दूध से बनने बाले पदार्थों में पाई जाती है।
  • वनस्पति जगत से प्राप्त की जाने वाली प्रोटीन को वनस्पति प्रोटीन कहतें हैं जो दाल, सूखे मेवे, अनाज आदि में पाई जाती है।

गुणों के आधार पर प्रोटीन का वर्गीकरण

गुणों के आधार पर प्रोटीन को निम्न भागों में बाटा गया है जो निम्नलिखित हैं।

सरल प्रोटीन

ऐसी प्रोटीन जो जल अवघतन के बाद अमीनो अम्ल में अवघतित हो जाती हैं इस तरह की प्रोटीन को सरल प्रोटीन कहते हैं अणुओं की संरचना तथा आकृति के आधार पर ये दो प्रकार की होती है।1 .गोलाकार प्रोटीन  2 .तन्तुवत प्रोटीन

अनुबद्ध प्रोटीन

जब प्रोटीन के संयोजन में अमीनो अम्ल के अलावा कोई None Amino Acid Component शामिल हो जाता है तो इस प्रकार की प्रोटीन को अनुबद्ध प्रोटीन कहते हैं। अनुबद्ध प्रोटीन निम्नलिखित प्रकार  की होती है।

फोस्फोप्रोटीन फोस्फोरिक अम्ल से बनी प्रोटीन को फोस्फोप्रोटीन कहते है जैसे-दूध की कैसीन।

न्युक्लियोप्रोटीन –हिस्टोंन प्रोटीन में न्यूक्लिक अम्ल मिलने पर जो प्रोटीन बनती है उसे न्युक्लियोप्रोटीन कहते हैं। यह प्रोटीन कोशिकाओं के केन्द्रक में chromatin बनाती है।

ग्लाइकोप्रोटीन- ग्लाइकोप्रोटीन,प्रोटीन और कार्बोहाईडरेड के संयोग से मिलकर बनी होती है ग्लाइकोप्रोटीन को म्युकोप्रोटीन भी कहते हैं।

क्रोमोप्रोटीन –इस प्रकार की प्रोटीन में पाया जाने वाला स्थेटिक समूह पाईरोल होता है इसमें आयरन, कॉपर, कोवाल्ट आदि धातुएँ भी होती हैं। इसलिए यह रंगहीन होता है। यह दो प्रकार के होते हैं-

  1. हीमोग्लोबिन- यह रूधिर (Blood) में पाया जाता है।
  2. क्लोरोफिल- यह पौधों में पाया जाने वाला पदार्थ है।

प्रोटीन का नाम

दोस्तों हम आपको बता चुके हैं कि प्रोटीन क्या है? उसके कार्य क्या होते हैं और उसके वर्गीकरण के बारे में। अब हम आपको इस टॉपिक में प्रोटीन के नाम बताएँगे। कुछ मुख्य प्रोटीन के नाम निम्नलिखित हैं।

  • कोलेजन (Collagen)
  • फाईब्राइन (Fibroin)
  • केराटिन (Keratin)
  • इलास्टिन (Elastin)
  • गोसिपिन (Gossypin)
  • एक्टिन एवं मायोसिन (Actin And Myosin)
  • ग्लाएडिन (Gliadin)
  • जिन (Zein)

सल्फर क्या है?

निष्कर्ष

दोस्तों हमें उम्मीद है कि आपको हमारा यह आर्टिकल प्रोटीन क्या है? आपको पसंद आया होगा। इसी तरह की जानकारी पाने के लिए हमारी इस वेवसाइट पर विजिट करते रहिए ताकि हम आपके लिए इसी प्रकार की जानकारी अपलोड करते रहें, मिलते हैं अपने अगले आर्टिकल में तब तक के लिए धन्यवाद।

 

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